उम्मीद

हर रोज़ सवेरा होता है मुर्दाघर की कतारें लम्बी होती जाती है |चीखता है मनकैसी आपदा है यह? क्या इंसान ने कभी सोचा था हवा में सांस लेना खतरा बन जाएगा?जूंझता है लाचार इंसान कोई तो मदद के लिए आगे आये| यह कैसा चक्रव्यूह है जिसका भेद कोई न जाना? एक अजीब माहौल है घंटों […]

Begin typing your search term above and press enter to search. Press ESC to cancel.

Back To Top