परछाई

परछाई मेरी साथिन है।गम मे, खुशी में ।हर वक्त साथ चलती है । मेरा हाथ पकड़कर, आश्वासन देती है कमसकम एक तो पक्की सहेली है । अधूरेपन का सबब पनही पूछती। हार में भी जीतने की चाह जगाती । पर, किसी के आने से। दुबककर छुप जाती। क्या यह मेरी कटुता नही। जो मुझसे दुर्व्यवहार […]

Begin typing your search term above and press enter to search. Press ESC to cancel.

Back To Top