फासला 

फासले जो है तेरे मेरे दरमियान
मिट जाए, तो बन जाता सुनहरा जहां ।
करते गर इशारा एक ही, आ जाते हम,
हो जाते पूरे, दोनों के हसीं, सुहाने, प्यारे अरमान ।
इस चाह में मीलों चल दिए हम,
एहसास हुआ फिर, के आपको तो था बस गुमान ।
पता नहीं क्यों मुझे तेरे सामने ज़िक्र ऐ फासला कुछ बेवजह सा लगता है ।
Deep Thinker. Philosopher. Author. Theatre Artist
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